कृषि में तेजी से हो रहे बदलाव और मौसम की हर जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने मोबाइल एसएमएस की मदद ली है। जनेकृविवि के जबलपुर सहित 21 जिलों में बने कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से तकरीबन 12 लाख 65 हजार किसानों को यह एसएमएस भेजे जा रहे हैं।
विवि द्वारा इतना बड़ा नेटवर्क बनाने के लिए उसके 21 जिलों में बने कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानियों ने मदद की है। हर कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से स्थानीय खेती, उसके होने वाले बदलाव, सीट की उपलब्ध से लेकर उसमें होने वाली बीमारी, उपचार और अनुसंधान की जानकारी एसएमएस के दी जा रही है। इसके लिए जबलपुर के अलावा छिंदवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, नरसिंहपुर, डिंडौरी, कटनी, सतना, सागर, दमोह, पन्ना समेत 21 जिलों में विवि के कृषि विज्ञान केंद्र हैं। इनसे जुड़े तकरीबन 21 हजार 182 गांव के किसानों से संपर्क कर उनके मोबाइल नंबर लिए गए। इन नंबर को विवि के कृषि अनुसंधान एंव कृषि प्रौद्योगिकी की सूचना से जोड़ा गया
विवि से सीधे तौर पर इतनी बड़ी संख्या से किसान जुड़े हैं।
- इन किसानों को उनके जिले स्तर की फसल और मौसम की जानकारी दी जाती है।
- इन किसानों से समय-समय पर कृषि में आने वाली समस्याओं की जानकारी ली जाती है।
- इस आधार पर कृषि अनुसंधान तैयार कर उन पर काम होता है।
- इस किसानों में कृषि विज्ञान केंद्र या विवि बुलाकर नई जानकारी देते हैं
खेती-किसानी की हर जानकारी चंद सेकंड में ही इन तक पहुंच जाती है।
विवि ने अपने 21 कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से तकरीबन 12 लाख 65 हजार किसानों को हर सप्ताह एग्रीकल्चर एडवाइजरी एसएमएस के माध्यम से भेजी जा रही है। यह जानकारी हर जिले को ध्यान में रखकर तैयार होती है। जिले स्तर पर ही किसानों को एसएमएस भेजे जाते हैं।